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भारत और मिस्र विश्व की दो सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक हैं-4,000 साल से भी अधिक पुराने रिश्ते -सम्राट अशोक के अभिलेखों में–ऐतिहासिक होगी पीएम मोदी यात्रा –

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के आर अरुण
सम्पादक समाज जागरण 24tv
नई दिल्ली /काहिरा / (SJ MIDIA -)मिस्र में भारतीय राजदूत अजीत गुप्ते ने कहा कि दोनों देशों के बीच 4,000 साल से भी अधिक पुराने रिश्ते हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि पीएम मोदी की मौजूदा यात्रा के बहुत ठोस नतीजे निकलेंगे।दरअसल, सम्राट अशोक ने तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में मिस्र के राजा टॉल्म द्वितीय का उल्लेख किया था। भारत और मिस्र विश्व की दो सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक हैं। दोनों सभ्यता

ओं का इतिहास काफी पुराना है। इसका जिक्र सम्राट अशोक के समय में भी मिलता है। सम्राट अशोक के अभिलेखों में टॉल्म द्वितीय के साथ संबंधों का उल्लेख मिलता है।

भारत के चौथे पीएम नरेंद्र मोदी की यात्रा- 1980 के दशक के बाद भारत के चार प्रधानमंत्रियों ने मिस्र की यात्रा की है। जिसमें 1985 में राजीव गांधी, 1995 में पीवी नरसिम्हा राव, 1997 में आईके गुजराल और मनमोहन सिंह ने 2009 में मिस्र का दौरा किया था। इजिप्ट के राष्ट्रपति अब्देल फतेह अल-सीसी के निमंत्रण पर दो दिवसीय राजकीय यात्रा पर काहिरा पहुंचे।

इजिप्ट के दौरे-से पहले पीएम मोदी ने कहा, मैं एक करीबी और मैत्रीपूर्ण देश की राजकीय यात्रा पर पहली बार जाने को लेकर उत्साहित हूं-“मैं दोनों देशों के बीच सभ्यतागत और बहुआयामी साझेदारी को और गति प्रदान करने के लिए राष्ट्रपति सिसी और मिस्र सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ अपनी चर्चा के लिए उत्सुक हूं। मुझे मिस्र में जीवंत भारतीय समुदाय के साथ बातचीत करने का भी अवसर मिलेगा।
मिस्र गैस और तेल उत्पादक देशों यूएई और सऊदी अरब के भी बेहद करीब हो गया है जिस कारण भूमध्य सागर में भी उसका प्रभाव बढ़ रहा है.पीएम ने बताया कि भारत ने इस साल अपनी G-20 अध्यक्षता के दौरान मिस्र को गेस्ट देश के रूप आमंत्रित किया है। यह हमारी खास दोस्ती को दिखाता है। बैठक में दोनों देशों ने रक्षा उद्योगों के बीच सहयोग को और मजबूत करने और काउंटर टेररिज्म से जुड़ी सूचना और इंटेलिजेंस का आदान-प्रदान बढ़ाने का भी निर्णय लिया है।

—–इतिहास में जानिए मिस्र क्या है उसकी भव्यता —–
प्राचीन मिस्र, नील नदी के निचले हिस्से के किनारे केन्द्रित पूर्व उत्तरी अफ्रीका की एक प्राचीन सभ्यता थी, जो अब आधुनिक देश मिस्र है। यह सभ्यता 3150 ई.पू. के आस-पास, प्रथम फैरो के शासन के तहत ऊपरी और निचले मिस्र के राजनीतिक एकीकरण के साथ समाहित हुई और अगली तीन सदियों में विकसित होती रही

सुमेरी सभ्यता सबसे पुरानी है, जिसका समय ईसा से 3500 वर्ष पूर्व माना जाता है।

–सुमेरियन में हुआ था बैंकिंग प्रणाली–

इसकी खास बातें -समाज विज्ञानी के आर अरुण –

इसका इतिहास स्थिर राज्यों की एक श्रृंखला से निर्मित है, जो सम्बंधित अस्थिरता के काल द्वारा विभाजित है, जिसे मध्यवर्ती काल के रूप में जाना जाता है।
प्राचीन मिस्र नविन साम्राज्य के दौरान अपने चोटी पर पहुँची, जिसके बाद इसने मंद पतन की अवधि में प्रवेश किया। इस उत्तरार्ध काल के दौरान मिस्र पर कई विदेशी शक्तियों ने विजय प्राप्त की और फ़ैरो का शासन आधिकारिक तौर पर 31 ई.पू. में तब समाप्त हो गया, जब प्रारम्भिक रोमन साम्राज्य ने मिस्र पर विजय प्राप्त की और इसे अपना एक प्रान्त बना लिया।

1, मिस्र के मिट्टी के बर्तन और कांच प्रौद्योगिकी, साहित्य के नए रूप और ज्ञात, सबसे प्रारम्भिक शांति संधि-  2 ,मिस्र ने एक स्थायी विरासत छोड़ी. इसकी कला और स्थापत्य को व्यापक रूप से अपनाया गया और इसकी प्राचीन वस्तुओं को दुनिया के दूसरे कोने तक ले जाया गया। 3 -इसके विशाल खंडहरों ने यात्रियों और लेखकों की कल्पना को सदियों तक प्रेरित किया। प्रारम्भिक आधुनिक काल के दौरान प्राचीन वस्तुओं और खुदाई के प्रति एक नए सम्मान ने मिस्र और दुनिया के लिए मिस्र सभ्यता की वैज्ञानिक पड़ताल और उसकी सांस्कृतिक विरासत की अपेक्षाकृत अधिक प्रशंसा को प्रेरित किया।
4 ,सम्राट अशोक, प्राचीन भारत में मौर्य साम्राज्य के एक महानतम शासक थे। वह 268 ईसा पूर्व में सिंहासन पर चढ़े और उनका शासन लगभग 40 वर्षों तक चला। अशोक को भारत के महानतम राजाओं में से एक और विश्व इतिहास में एक उल्लेखनीय व्यक्ति माना जाता है। आज इस लेख में हम का अध्ययन करेंगे, जिसमें आपको अशोक के जीवन से जुड़े विभिन्न ऐतिहासिक तथ्यों के बारे में जानने को मिलेगा।
5 एक दूरदर्शी राजा के रूप में अशोक की विरासत जिसने नैतिक शासन, सामाजिक कल्याण और धार्मिक सहिष्णुता को बढ़ावा दिया, ने भारत और दुनिया पर स्थायी प्रभाव छोड़ा है। उनका बौद्ध धर्म में परिवर्तन और उसके सिद्धांतों को फैलाने के उनके प्रयास आज भी लोगों को प्रेरित करते हैं।
यहां एक खास उल्लेख मिलता है जिसका वर्णन अदभुत है –
सुमेरियन सभ्यता – के बारे में 19वीं शताब्दी तक कोई नहीं जानता था लेकिन फ्रांस और यूके के पुराविदों ने इस सभ्यता को खोज निकाला. 1850 ईस्वी में रोलिंसन नामक इंग्लिश पुराविद ने बहिस्तुन के पास एक शिलालेख की खोज की जिसे ईरानी शासक डेरियस ने उत्कीर्ण करवाया था. फारसी और बेबिलोनियन भाषा में लिखें इस लेख को पढ़ा तो मेसोपोटामिया सभ्यता की जानकारी मिली.
आज के जीवन में बैंकों और खातों की प्रणाली का कितना महत्‍व है, –
यह बात किसी औपचारिक परिचय की मोहताज नहीं है। लेकिन आपको शायद यह बात जानकर हैरत होगी कि विश्‍व में बैंकिंग प्रणाली का जन्म सबसे पहले मेसोपोटामिया में ही हुआ था। यह संसार की सबसे प्राचीन सभ्‍यता सुमेरियन की देन है। मोहन जोदड़ो सभ्‍यता की लिपि और मुहरें, सुमेरी लिपि और मुहरों से मिलती-जुलती हैं। इतना ही नहीं, सुमेर के प्राचीन नगर ऊर में भारत में चूने-मिट्टी के बने बर्तन भी पाए गए हैं। मोहन जोदड़ो की जो सांड की मूर्ति है, वह सुमेर के पवित्र वृषभ से काफी मिलती है।

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