अम्बाला नगर परिषद छावनी क्षेत्र में 12 लाख के 4 टॉयलेट गायब -अधिकारीयों को पता तक नहीं – चुप्पी को लेकर आरटीआई से उठे सवाल ये कैसा निर्माण –

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==कृष्ण राज अरुण ==
-samaj jagran 24tv-
अम्बाला – छावनी क्षेत्र में नगर परिसद अधिकारीयों की नजर से 4 टॉयलेट ठेका निर्माण में गायब होने की पुस्टि आरटीआई से जानकारी उजागर हुई है। पूछताछ में अधिकारी अनभिज्ञ हैं। मामले में राजनैतिक आरोप में गहन आरोप से खलबली मची है। इनेलो के प्रवक्ता ओंकार सिंह ने बताया कि मामला गंभीर है उच्च जांच जरूरी है।
इस खलबली के बाद बताया गया हैकि इसके बाद इन्हें टिंबर मार्केट और महेशनगर से हटा दिया गया, लेकिन यहां से हटाने के बाद ये कहां गए, इसकी जानकारी किसी के पास नहीं है। जबकि अनाज मंडी और हलवाई बाजार के चौक पर जो ई-टॉयलेट लगे हुए हैं, उनकी मशीनरी भी खराब हो चुकी है और यह अब मात्र एक स्टील का डिब्बा बनकर रह गए हैं।
महंगे दामों पर खरीदने का आ
रोप-
इनेलो प्रदेश प्रवक्ता ओंकार सिंह के संज्ञान में जब मामला आया तो उन्होंने आरटीआई कानून का प्रयोग किया। जहां से पता चला कि लगभग 24 लाख रुपये की लागत से अंबाला छावनी के अलग-अलग बाजारों में ई-टॉयलेट लगाए गए थे। एक ई-टॉयलेट की कीमत पांच लाख 85 हजार 278 रुपये अदा की गई थी। इतने महंगे ई-टॉयलेट खरीदने पर भी लोगों ने सवाल खड़े किए हैं कि किसके कहने पर यह ई-टाॅयलेट खरीदे गए थे और इन्हें स्थापित करने से पहले सफाई कर्मचारियों को इसे दुरुस्त रखने का प्रशिक्षण क्यों नहीं दिया गया।ओंकार सिंह का कहना है कि इस मामले की जांच होनी चाहिए और नियमानुसार आरोपी पर कार्रवाई होनी चाहिए। मगर अभी तक नगर परिषद के अधिकारी मामले पर चुप्पी साधे हुए हैं।
घोटाले की तरफ इशारा : इनेलो के प्रवक्ता ओंकार
इनेलो के प्रवक्ता ओंकार सिंह ने बताया कि लाखों रुपये के गबन की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता। जनसूचना अधिकार अधिनियम के तहत जानकारी मिली थी कि अंबाला छावनी में चार जगह लगभग 24 लाख की लागत से ई-टॉयलेट लगाए गए थे। अब इनमें से दो ही अनाजमंडी और हलवाई बाजार में नजर आते हैं जोकि अब मात्र स्टील का डिब्बा बनकर रह गए हैं। इतने महंगे ई-टॉयलेट किसके कहने पर खरीदे गए और दो टॉयलेट कहां गायब हो गए, इसकी उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए।
मुख्य सफाई निरीक्षिक नप सदर बेनीवाल ने थोपा जिम्मा इंजीनियरिंग विभाग पर- –
यह मामला इंजीनियरिंग विभाग से संबंधित है, उन्होंने ही ये ई-टॉयलेट खरीदे थे और उन पर ही इसके रख-रखाव की जिम्मेदारी थी। उन्होंने कभी भी यह ई-टॉयलेट सेनेटरी विभाग को नहीं सौंपे।

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