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निर्भया-वहसिया जुल्म-16 दिसंबर2012 की काली रात”भुला नहीं देश जब रोया था देश चैन से नहीं सोया था आरोपियों के दण्डित होने तक”

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जागना होगा समाज के हर व्यक्ति को तभी हर घर की बेटी सुरक्षित हो सकेगी -किसी बेबस अबंला से बब्बरता पूर्वक जुल्म हो तो भला जागरूक समाज चुप चाप कैसे तमाशाई बनकर देखता रहेगा – जो चुप देखते रहेंगे उनकी बेटी बहन बीवियां भी कालको किसी दरिंदे के चगुल से कैसे बचेगी ?

         भूले नहीं है अभी हम 2012 की 16 दिसंबर की काली रात को जब नर पिशाचों ने डसा था नशे की धुन नमे निर्भया को – मगर पूरा देश जगाने में राजधानी दिल्ली एक थी कानून के साथ हर कदम?

-कृष्ण राज अरुण –

samajjagran24tv

नई दिल्ली – {अलर्ट न्यूज़ सर्विस }  की सर्द और अंधेरी रातों में से एक 16 दिसंबर की रात 23 साल की निर्भया अपने एक दोस्त के साथ दिल्ली के साकेत सिलेक्ट सिटी वॉक सिनेमा हॉल में फिल्म देखने गई थीं. निर्भया कॉल सेंटर में काम करते हुए फिजियोथेरेपी की अपनी पढ़ाई के लिए खर्च निकालते हुए वह बड़ी उड़ान के सपने भी देख रही थी.
मनहूस रात जब वो फिल्म देखकर निकली -फिल्म देखने के बाद निर्भया अपने दोस्त के साथ घर जाने के लिए ऑटो का इंतजार कर रही थी, लेकिन काफी देर तक द्वारका जाने का कोई साधन नहीं मिला तो वे ऑटो में बैठकर मुनीरका बस स्टैंड तक आ गए. लेकिन यहां से भी उन्हें द्वारका जाने का कोई साधन नहीं मिल रहा था। रात बढ़ती जा रही थी. इस बीच एक बस पास से गुजर रही थी और इसे देखते हुए निर्भया तथा उसके दोस्त ने बस से ही आगे का सफर पूरा करने की योजना बनाई क्योंकि वह बस भी द्वारका ही जा रही थी, जहां उन्हें भी जाना था. इसी बस में 6 और लोग भी बैठे हुए थे.

बस द्वारका के लिए निकल गई थी और अभी रात के 10 नहीं बजे थे और सड़को पर भी लोग नहीं दिख रहे थे. इस बीच बस में सवार एक नाबालिग लड़के और उसके साथियों ने इन दोनों लोगों के साथ बदतमीजी शुरू कर दी.

शुरुआती बदतमीजी ने अचानक बड़ा और खतरनाक रूप अख्तियार कर लिया और यह आजाद भारत के लिए कलंक साबित हो गया.स्लम एरिया में रहने वाले अपराधी प्रवृत्ति के राम सिंह और उसके अन्य साथियों ने निर्भया के दोस्त के साथ बुरी तरह से मारपीट की तो वहीं दूसरी ओर निर्भया को बस के पीछे ले जाकर उसके साथ हाथापायी भी की. यही नहीं इन अपराधियों ने बारी-बारी से उसके साथ रेप भी किया. निर्भया के विरोध करने पर लोहे की रॉड पीड़िता के शरीर में डालकर जानलेवा हमले तक किए गए. दोनों लोग घायल अवस्था में बुरी तरह वहीं पड़े रहे.
घड़ी की सुइयों के रात के 10 के ऊपर चले जाने और बेटी निर्भया के घर नहीं आने पर माता-पिता को चिंता हुई तो बार-बार फोन करने लगे लेकिन फोन स्वीच ऑफ बता रहा था. इस बीच सवा 11 बजे उनके पास फोन आया और फिर माता-पिता बेटी को देखने सफदरजंग अस्पताल पहुंचे. जहां निर्भया की हालत बेहद खराब थी।
बर्बरता की हदें पार करने वालों ने भी नहीं सोचा होगा कि वो जो कर रहे हैं वो कितना वीभत्स होगा.

इलाज के दौरान जब निर्भया की मेडिकल जांच की गई तो पता चला कि रेपिस्टों ने हमलों के दौरान लोहे के रॉड से पीड़िता के प्राइवेट पार्ट्स के साथ-साथ उनकी आंत भी बाहर निकला दी थी. कई दिनों वह दिल्ली के अस्पतालों में जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष करती रही. फिर तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार ने 27 दिसंबर को उसे हवाई एंबुलेंस के जरिए सिंगापुर भेजा, लेकिन 29 दिसंबर की सुबह निर्भया ने अपनी छोटी सी जिंदगी की आखिरी सांस लीं.

निर्भया के जाने के बाद देशभर में महिलाओं ने जबर्दस्त प्रदर्शन किया और हर ओर दोषियों को उनके किए की सजा दिलाने की मांग होने लगी. लगातार विरोध-प्रदर्शन और बढ़ते दबाव के बीच मनमोहन सिंह सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस वर्मा की अगुवाई में 3 सदस्यीय समिति का गठन किया. देशभर से आए सुझावों के आधार पर सिर्फ 29 दिनों में तैयार की गई 630 पन्नों की यह रिपोर्ट बाद में 2013 में पारित किए गए ‘क्रिमिनल अमेंडमेंट ऐक्ट’ का आधार भी बना. इस नए कानून के तहत रेप की सजा को 7 साल से बढ़ा कर उम्र कैद तक कर दिया गया.

दूसरी ओर, दिल्ली पुलिस ने हादसे के एक हफ्ते के अंदर राम सिंह, मुकेश सिंह, अक्षय ठाकुर, विनय शर्मा, पवन गुप्ता और एक नबालिग समेत कुल 6 आरोपियों को पकड़ लिया. बाद में बस की भी पहचान कर ली गई.ट्रायल केस में सभी आरोपी दांडित हुए।

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