अजूबा रॉबर्ट बना नए भारत में – जिसका दिल भी धड़केगा -16 बोलेगा 21 समझेगा भाषा- इस रॉबर्ट का अनुष्का नामसे अविष्कार –
😊 कृपया इस न्यूज को शेयर करें😊
|
-कृष्णराज अरुण –
-samajjagran24tv.com
नई दिल्ली – ( कंट्री एन्ड पॉलिटिक्स पत्रिका डेस्क )
दिल भी धड़कता दिखे आपकी भाषा भी समझे इस ह्यूमनॉइड रोबोट को इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार इंजीनियरिंग विभाग के तहत चलने वाले सेंटर ऑफ रोबोटिक्स एंड मेक्ट्रोनिक्स द्वारा डिजाइन किया गया है। इसके बारे बताया गया है कि रोबोट अनुष्का की क्षमताएं अद्वितीय हैं, जिमसें होम ऑटोमेशन और स्वायत्त नेविगेशन जैसी विशेषताएं भी शामिल हैं।
नए भारत की अविष्कारक होनहार प्रतिभाओं ने दिखा दिया है कमाल ऐसा रॉबर्ट तैयार करके जो 36 भाषाएँ समझेगा और 16 बोलेगा खास ये है कि इसका दिल भी धड़केगा। आप निश्च्य ही गर्वित होंगे कि ये होनहार प्रतिभाएं गाजियाबाद के मुरादनगर स्थित काइट कॉलेज के छात्रों ने वेस्ट मेटेरियल से अपना पहला ह्यूमनॉइड रोबोट बनाया। करीब डेढ़ साल में मात्र ढ़ाई लाख रुपये की लागत से आर्टिफिजिशियल इंटेजिलेंस रोबोट बनाया। यह अपने आप काम करेगा व सोलह भाषा बोल सकता है, इस खास तरह के रोबोट का नाम अनुष्का रखा गया है ।
इस रॉबर्ट की खासियत का प्रदर्शन खूबी को लेकर बीते शुक्रवार को कालेज परिषर में आयोजित प्रेसवार्ता में प्रभारी निदेशक डॉ. अनिल अहलावत एवं संयुक्त निदेशक डॉ. मनोज गोयल ने बताया कि छात्रों ने देश का पहला रोबोट तैयार किया है, जिसमे इस रॉबर्ट के दिल की धड़कन भी सुनाई देगी, यह अपनी हयूमन से चलेगा ।रोबोट अनुष्का की क्षमताएं अद्वितीय हैं, जिमसें होम ऑटोमेशन और स्वायत्त नेविगेशन जैसी विशेषताएं शामिल हैं। नवाचार का यह स्तर मानव-रोबोट संपर्क में क्रांति लाने और रोबोटिक क्षमताओं के लिए एक नया मानक स्थापित करने में अनुष्का की भूमिका को उजागर करता है।
-इस भारत के रोबोट अनुष्का की क्षमताएं अद्वितीय हैं-
यहाँ बतादें कि अविष्कारकों ने रोबोट में खुद के समझने की तकनीक को बढ़ाया है यह खास खूबी है.जानकारी में बताया गया हैकि विश्व की अधिकत्तर सभ्याताएं रोबोट में शामिल हैं। डॉ. मनोज गोयल ने बताया कि रोबोट को बनाने में छात्र हर्ष व पीयूष की अहम भूमिका रही। इसे स्क्रेप मैटेरियल से बनाया गया, जिसमें महज 2.5 लाख रुपये का खर्च आया है। जबकि इस तरह के रोबोट को बनाने में अन्य संस्थानों में 50 लाख से अधिक का खर्च वहन किया गया है। इतने कम बजट में इतनी महत्वपूर्ण खूबी करने वाली प्रतिभाएं रोबोट को बनाने में छात्र हर्ष व पीयूष की अहम भूमिका रही। इसे स्क्रेप मैटेरियल से बनाया गया, जिसमें महज 2.5 लाख रुपये का खर्च आया है। जबकि इस तरह के रोबोट को बनाने में अन्य संस्थानों में 50 लाख से अधिक का खर्च वहन किया।
Whatsapp बटन दबा कर इस न्यूज को शेयर जरूर करें |
Advertising Space