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हालेदिल मरीज परिजनों का –(SMS) के ट्रॉमा सेंटर के आईसीयू वार्ड में शॉर्ट सर्किट से आग-अस्पताल के कर्मियों की लापरवाही से सात मरीजों की मौत –

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—कृष्णराज अरुण राजधानी डेस्क —
जयपुर /दिल्ली – samaj jagran 24tv –
भयावह आग के धुएं से छटपटाते मरीज चिल्लाते रहे कोई सुननेवाला नहीं यह माजरा राजस्थान की राजधानी जयपुर में एसएमएस हॉस्पिटल में सोमवार देर रात एक बड़ा दर्दनाक हादसा हुआ–

SMS के कर्मियों की बड़ी लापरवाही से हुई मौतें क्योंकि जब हादसा हुआ तो गेट खुलवाने में आनाकानी करते कर्मचारी अपनी मस्ती में चूर ला परवाह दिखे जिससे यह हादसा टालने की बजाय हो गया।

samajjagran 24tv रिपोर्टर अनुसार इस सरकारी अस्पताल सवाई मानसिंह (SMS) के ट्रॉमा सेंटर के आईसीयू वार्ड में शॉर्ट सर्किट से आग लग गई।जिसमे सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं होने से 7 मरीजों की जान चली गयी जबकि कई गंभीर मरीजों को फायर ब्रिगेड की मदद से सुरक्षित बाहर निकाला गया।   SMS के कर्मियों की बड़ी लापरवाही से हुई मौतें क्योंकि जब हादसा हुआ तो गेट खुलवाने में आनाकानी करते कर्मचारी अपनी मस्ती में चूर ला परवाह दिखे जिससे यह हादसा टालने की बजाय हो गया।

बीती रात सोमवार की रात 12 बजकर 30 मिनट पर यह आग ट्रॉमा सेंटर में न्यूरो आईसीयू वार्ड के स्टोर में लगी। यहां पेपर, आईसीयू का सामान और ब्लड सैंपलर ट्यूब रखे थे। ट्रॉमा सेंटर के नोडल ऑफिसर और सीनियर डॉक्टर ने बताया कि शॉर्ट सर्किट से आग लगने का अनुमान है। हसमय आईसीयू में 11 मरीज थे। उसके बगल वाले आईसीयू में 13 मरीज थे। अचानक हुए हादसे में भयावह धुएं से जब दम घुटने लगा तो भागते मरीजों के लिए दरवाजा नहीं खोला गया वे डैम घुट रहा कहते रहे मगर कर्मचारी मस्ती में अनदेखा करते रहे। परिजनों का आरोप है कि उन्हें लगभग दो घंटे तक कोई सहायता नहीं मिली।
परिजनों की आपबीती ने इस सरकारी अस्पताल सवाई मानसिंघ हॉस्पिटल जिसे आजतक आदर विश्वाश के साथ प्रबंधन पर भरोसा किया जाता रहा है उसका हैवानियत रूप पहली बार सामने आया है। मरीजों के परिजन ने बताया कि हग वार्ड के अंदर थे ागसे धुंआ इतना भर गयाकि तेज बदबू आ रही थी। जब इस बारे में वहां मौजूद अस्पताल कर्मियों को बताया गया, तो उन्होंने लापरवाही भरे अंदाज में कहा कि चाभी आ रही है, उसके बाद देखेंगे। परिजनों का कहना है कि धुएं की जानकारी उन्होंने तीन से चार बार दी, लेकिन कर्मियों ने इसकी अनदेखी की। इसी लापरवाही के कारण कई मरीजों की दम घुटने से मौत हो गई।

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