अमेरिकी सांसद रिपब्लिकन सांसद रिच मैककॉर्मिक का दावा- मोदी की लोकप्रियता उन्हें फिर बनाएगी प्रधानमंत्री –
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–कृष्णराज अरुण -=
samaj jagran 24tv.com
— कंट्री एन्ड पॉलिटिक्स डेस्क —
नई दिल्ली – अमेरिकी सांसद का दावा है कि भारतीय प्रधानमंत्री की छवि भारत के साथ विश्व पटल पर प्रसिद्दि में शिखर पर है। उनके रणनीतिज्ञ प्रयास बताते हैं की वे भारत की लोकसभा में विजय के शिखर को छूकर एक बार फिर प्रधानमंत्री बनेंगे। यह दावा जॉर्जिया से रिपब्लिकन सांसद रिच मैककॉर्मिक ने एक इंटरव्यू में कहा हैकि भारतीय ‘प्रधानमंत्री मोदी काफी लोकप्रिय हैं। वे बताते हैं कि जब मैं भारत में था। मैंने प्रधानमंत्री मोदी और अन्य कई सांसदों के साथ दोपहर का भोजन किया और पार्टी में उनकी लोकप्रियता देखी। ऐसा निश्चित कोई है साहसिक जो मुझे लगता है कि करीब 70 फीसदी लोकप्रिय हैं, तो वह कोई और नहीं नरेंद्र मोदी ही हैं निश्चय ही वह फिर प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं।
मोदी के रणनीतिक संबंध प्रभावित होंगे-
वे एक सवाल का जवाब देते हुए बताते हैं कि अर्थव्यवस्था, विकास, सभी लोगों के प्रति सद्भावना पर उनके प्रगतिशील दृष्टिकोण को देखना, दुनियाभर में प्रवासी भारतीयों के प्रति उनके आवेदन और सकारात्मकता को देखते हुए वैश्विक अर्थव्यवस्था, उनके रणनीतिक संबंध प्रभावित होंगे। मैं बहुत सकारात्मक तरीके से उनके प्रभाव की उम्मीद करता हूं यह भविष्य सचेतक नीव हैं जिसमे बहुत सी संभावनाएं स्पस्ट संकेत देती हैं।
रिच मैककॉर्मिक ने यह भी कहा कि मोदी के नेतृत्व में भारतीय अर्थव्यवस्था सालाना चार से आठ प्रतिशत की वृद्धि कर रही है। यदि आप अब अन्य देशों के साथ काम करने की उनकी इच्छा को देखते हैं, तो मैं वहां के लिए एक चेतावनी दूंगा, कभी-कभी थोड़ा बचना भी जरूरी है।
चीन पर अमेरिकी सांसद बोले –
मैककॉर्मिक ने आगे कहा, ‘जब हम उन तकनीकों को साझा करते हैं, जिनपर हमें भरोसा है, तो हमें बस यह सुनिश्चित करना होगा कि हम इसे ऐसे इस्तेमाल करें जो दोनों देशों के लिए लाभकारी हो। अच्छी बात यह है कि हम आक्रामक रुख नहीं देखते हैं जैसा कि हम चीन में देखते हैं। वास्तव में, हम चीन जैसे देशों का विरोध करने के लिए भारत के साथ एक बहुत ही महत्वपूर्ण रणनीतिक और सामरिक सहयोग देखते हैं जो निरंकुश हैं।’
ख़ास कदम – हम ऐसे संबंध बनाएं, जहां सच्चा विश्वास हो
उन्होंने कहा, ‘हमें यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि हम ऐसे संबंध बनाएं, जहां सच्चा विश्वास हो और हम यह महसूस करते रहें कि भारत ईमानदार है। वे हमारी तकनीकों को चुराने की कोशिश नहीं कर रहे हैं; वे उन्हें साझा करने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसा करने के लिए अपने आर्थिक लाभ का उपयोग करना ठीक है।’
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