दिल्ली में घुसा पहाड़ों की भारी वर्षा का यमुना में पानी खतरे से ऊपर -जल्दी पहुंचने का ट्राफिक -होंसले और समझ की घड़ी जनता और प्रसाशन के लिए –

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– समाज जागरण 24tv-
कृष्णराज अरुण
नई दिल्ली/नोयडा – हिमाचल उत्तराखंड की भारी वर्षा के पानी से हरियाना के 600 गावों आफत पर बनी हुई है। यमुना हथनी कुंड से छोड़े गए पानी के बाद दिल्ली में बाढ़ का खतरे का सात दिनों से लगातार संभावना अलर्ट की खबरें मिडिया सुर्खियां बनी हुई है।
दिल्ली समेत उत्तर-भारत में मानसून की बारिश आफत बनकर बरस रही –
हिमाचल के हरियाणा के बाद भारी बारिस में यमुना जी जलस्तर बढ़ने से दिल्लीवालों की मुसीबतें बढ़ने के पूरे आसार हैं क्योंकि बारिश का थमा हुआ सिलसिला अभी फिर शुरू होने वाला है और हरियाणा का पानी यमुना जलस्तर बढ़ा रहा है। दिल्ली-एनसीआर में इस सप्ताह भी बारिश होगी और 15-16 तारीख के लिए बारिश का यलो अलर्ट सामने आया है।
दिल्ली में पुराना पुल पहले ही बंद कर दिया है , उत्तरी पूर्व दिल्ली प्रसाशन ने खतरे वाले एरिया में जिला पुलिस ने यमुना के बढ़ते जलस्तर को देखते हुए यमुना के आसपास जाने पर पाबंदी लगाते हुए धारा 144 लागू की, यमुना के किनारे से आधा किलोमीटर तक जाने पर पाबंदी लगा दी है । प्रसाशन ने एतिहात पानी रोकने के लिए हर प्रयास किया जा रहा है ताकि रिहाइसी क्षेत्र और मार्केट को बचाव के लिए मोनेस्ट्री मार्केट के बाहर बाढ़ के पानी को रोकने के लिए लगाई गई मिट्टी की बोरियां लगाई हैं ।
खतरे के हर क्षेत्र में जैसे कि मयूर विहार पुश्ते पर बचाव के लिए फायर ब्रिगेड की टीम पहुंची है। सीढ़ी लगाकर लोगों को पुल पर चढ़ाया जा रहा। शिकायतें हुई कि घंटों पहले मंगाई गई थी बोट अब तक नहीं पहुंची। अभी भी सैकड़ों लोग अंदर फंसे हुए हैं बहुत सारे जानवर फंसे हुए हैं। उन्हें बचाने के लिए एनडीआरएफ की टीम बुलाई गई है।
दिल्ली सीएम अरविन्द केजरीवाल ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर स्थिति का हवाला दिया है और 1978 के बाद अब ऐसी स्थिति ना बने की शंका के कारण गिनाये हैं।
नोयडा लिंक रोड तक पहुंचा पानी -मुश्किल खड़ी होती दिख रही संकेतों से –
यमुना से खतरे में आने की आहट के चलते मयूर विहार पुस्ते पर पूर्वी दिल्ली से सांसद गौतम गंभीर ने जाकर बाढ़ प्रभावित लोगों का हाल जाना। डीएम को यहां पर तत्काल नाव की व्यवस्था करने के लिए कहा।
-यहां लोग बता रहे हैं कि अभी भी हजारों लोग अंदर फंसे हुए हैं-
खबरों के मुताबिक सभी स्तर पर पलक बिछाये प्रसाशन और जागरूक वर्ग का कहना हैकि की सुरक्षा एतिहात जरूरी है क्योंकि 1978 का 207.49 मीटर जलस्तर का रिकॉर्ड बस टूटने ही वाला है।
सांप बिच्छू के खतरे को भी समझा और समझाया जा रहा है-
कारण मयूर विहार सब डिवीजन के तहसीलदार विनोद कुमार सिंह ने बताया कि रात में पानी बढ़ने पर ऊंची व सूखी जगहों पर पानी भरने लगा तो सांप व बिच्छू निकलने लगे। लोगों को उनके घरों के पास जाकर समझाने की कोशिश की गई कि अब तराई इलाके में रहना उनके लिए सुरक्षित नहीं है। बाढ़ का खतरा होने के साथ-साथ सांप-बिच्छू भी लोगों की जान के लिए खतरा बन सकते हैं।

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