कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार बनी -सिद्धारमैया कैबिनेट में DK उप मुख्यमंत्री सहित 8 मंत्री शामिल –
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– समाज जागरण 24 tv
दिल्ली नेशनल डेस्क हैड
-कृष्णराज अरुण –
बेंगलुरु -( अलर्ट न्यूज़ सर्विस ANS )कर्नाटक में कांग्रेस बहुमत के बाद सिद्धारमैया की सरकार बन गयी है सिद्धारमैया ने मुख्यमंत्री और डीके शिवकुमार ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ग्रहणकर चुके है। कांग्रेस की सिद्धारमैया इस कैबिनेट के आठ मंत्रियों ने फिलहाल अभी शपथ ली है ।
सिद्धारमैया कैबिनेट में भी अहिन्दा फॉर्मूला लागू किया गया है-
बतादेंकि आठ में से छह विधायक इसी समीकरण के सहारे मंत्री बने हैं। सिद्धारमैया कैबिनेट में तीन दलित, दो अल्पसंख्यकों को शामिल किया गया है। इसके अलावा एक लिंगायत और एक वोक्कलिगा कैटेगरी से भी मंत्री बनाए गए हैं।
सिद्धारमैया कैबिनेट में तीन दलित, दो अल्पसंख्यकों को शामिल किया गया है। इसके अलावा एक लिंगायत और एक वोक्कलिगा कैटेगरी से भी मंत्री बनाए गए हैं।
कर्नाटक में पूर्ण बहुमत की सरकार बनने के बाद माना जा रहा था कि अधिकांश मंत्री पहली बार में ही शपथ ले लेंगे, लेकिन सिद्धारमैया और शिवकुमार के बीच नामों की सहमति नहीं बन पाई।
शेष निर्णय होने के बाद जल्दी ही अन्य मंत्री शपथ लेंगे।
सिद्धारमैया, मुख्यमंत्री : दूसरी बार सीएम का पद संभाला, डिप्टी सीएम भी रह चुके हैं
कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में शुमार सिद्धारमैया का जन्म देश की आजादी से ठीक पहले तीन अगस्त 1947 को मैसूर में हुआ था। तब ब्रिटिश का राज हुआ करता था। सिद्धारमैया के पिता सिद्धारमे गौड़ा मैसूर जिले के टी. नरसीपुरा के पास वरुणा होबली में खेती करते थे। मां बोरम्मा गृहणी थीं।
दस साल की उम्र तक उनकी कोई औपचारिक स्कूली शिक्षा नहीं हुई थी। इसके बाद गांव के ही स्कूल में पढ़े। बाद में उन्होंने बीएससी और फिर एलएलबी की पढ़ाई मैसूर विश्वविद्यालय से की। पांच भाई-बहनों में सिद्धारमैया दूसरे नंबर पर हैं और वह कुरुबा गौड़ा समुदाय से हैं। सिद्धारमैया मैसूर के मशहूर वकील चिक्काबोरैया के अधीन जूनियर थे और बाद में उन्होंने कुछ समय के लिए कानून पढ़ाया।
सिद्धारमैया साल 1983 में पहली बार निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर कर्नाटक विधानसभा में चुनकर आए। 1994 में जनता दल सरकार में रहते हुए कर्नाटक के उप-मुख्यमंत्री बने। एचडी देवगौड़ा के साथ विवाद होने के बाद जनता दल सेक्युलर का साथ छोड़ा और 2008 में कांग्रेस का हाथ पकड़ा।
वे 2013 से 2018 तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे चुके हैं। उन्होंने अब तक 12 चुनाव लड़े हैं जिसमें से नौ में जीत दर्ज की है। मुख्यमंत्री रहते हुए गरीबों के लिए चलाई गई उनकी कई योजनाओं की काफी तारीफ हुई, जिसमें सात किलो चावल देने वाली वालाअन्न भाग्य योजना, स्कूल जाने वाले छात्रों को 150 ग्राम दूध और इंदिरा कैंटीन शामिल थीं।
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