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सरल विधि जैविक महत्व के लिए अपनाये जाने वाली “नाडेप कम्पोस्ट खाद” का महत्व को अपनाये- नंदा फाउंडेशन –

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नाडेप कम्पोस्ट खाद का महत्व को अपनाये – -सांकेतिक तस्वीर में नाडेप भागीरथ देश में प्रयास दिखते हए –

नारायणगढ़ – बरखाराम धीमान – उन्नत कृषि विकास यात्रा में जैविक खेती का नाम आते ही सरलता से बनाये जाने वाली खाद फसल बागवानी नरसरी इत्यादि में उपजाऊ भूमि बनाने में खाद – नाडेप कम्पोस्ट -सभी कृषि से जुड़े लोग सरल विधि से बना सकते हैं खुद –
जानिये क्या है ( Nadep कम्पोस्ट ) जिसका फुलफार्म ( Nadep Full Form ) “नारायण देवराव पण्ढ़री पांडे” ( Narayan Deotao Pandharipande ) है, यह जैविक खेती के लिए बहुत ही उपयोगी सरलता से घर आसपास में तैयार होने वाली खाद है।
बता दें कि इस योजना का निर्माण 4 दशक पूर्व गौधन गाय प्रेमी गाँधीवादी महाराष्ट्र विदर्भ यवतमाल पुसद निवासी नाडेप काका का सालों का प्रयोग से कई राज्यों के किसान लाभान्वित हुए -कई राज्य में नाबार्ड ने भी योजना अपनाई सहयोग बनाया – यह सस्ती और अच्छी जैविक खाद बनाने के ये हैं सबसे तरीकों में यह आसान है।
हरे भरे पर्यावरण एवं जैविक खेती को को प्रोत्साहित करने -कम बजट साधारण प्रयोग से यह उपाय बंजर होती खेती को उपजाऊ बनाने में वरदान फार्मूला है।
इस योजना को भारत नव निर्माण विकास यात्रा तहत गुलज़ारीलाल नंदा फाउंडेशन ने 2007 में नाडेप काका की इस योजना को उनकी स्मृति में उनके बेटे कृषि विकास आंदोलन में सक्रिय अविनाश नाडेप को कृषक उन्नति क्षेत्र में राष्ट्रीय सम्मान से गुलज़ारीलाल नंदा फाउंडेशन से महामहिम द्वारा पुरुस्कृत किया था। इसके पश्चात गुलज़ारीलाल नंदा फाउंडेशन के चेयरमेन श्री कृष्ण राज अरुण नाडेप योजना के कार्यकारी अध्यक्ष बनाये गए।
नाडेप कम्पोस्ट खाद कृषि विकास यात्रा में सुखद परिणाम दायक स्वेच्छिक योजना है जिसे अब उत्तरी भारत में 2024 में हरियाणा पंजाब उत्तराखंड पश्चमी उत्तर प्रदेश में फैलाव की तैयारी है।
श्री अरुण नाज इंडिया कृषि वैज्ञानिक संस्था का नेतत्व भी कर रहे हैं वे बताते हैं की कृषक क्षेत्र में समाज जागरण यात्रा में यह कदम महत्वपूर्ण है –
श्री अरुण अनुसार –
-नाडेप कम्पोस्ट खाद निर्माण विधि –
नाडेप कम्पोस्ट तकनीक के तहत जमीन पर एक टांका बनाया जाता है। इसमें न्यूनतम मात्रा में गोबर का उपयोग करके बड़ी मात्रा में अच्छी खाद तैयार की जा सकती है। इस तकनीक से विघटित खाद बहुत उच्च गुणवत्ता की होती है और अप्रयुक्त अपशिष्ट पदार्थ का उपयोग किया जाता है।
-पोषक तत्वों से भरपूर तैयार होती है यह खाद –
-NADEP कम्पोस्ट में पोषक तत्वों की मात्रा प्रयुक्त सामग्री की गुणवत्ता पर निर्भर करती है। नाइट्रोजन (0.8-1.4%), फॉस्फोरस (1.0-1.5%) और पोटाश (1.2-1.4%) आमतौर पर नैप्ड खाद में पाए जाते हैं। साथ ही इसमें सल्फर, आयरन, जिंक, मैंगनीज, कॉपर और बोरॉन जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं।
-होज ऐसे बनाये
–नाडेप टॉय को जालीदार ईंट के निर्माण से बनाया जाता है। इस गड्ढे के अंदर कृषि के कचरे और कूड़ा-कर्कट का उपयोग करके इस कंपोस्ट विधि के साथ 2-3 महीने के दौरान गंदगी मुक्त भूरे और नरम खाद तैयार हो जाती है, जोकि कृषि उत्पादन के लिए उपयोगी साबित होती है। इस विधि द्वारा जहां गंदगी के ढेर से छुटकारा मिलता है, वहीं खेती के उत्पादन के लिए उपयोगी खाद तैयार होती है। जहां जमीन के ऊपर पानी जमा नहीं होता, वहां 12 फीट लंब, 5 फीट चौड़ा और 3 फीट गहरा आयाताकर होज तैयार किया जाता है।
दीवार की मोटाई 9 इंच से 12 इंच रखी जाती है और हवा के प्रवाह के लिए प्रत्येक दीवार में लंबाई की तरफ 7-8 छेद और चौड़ाई की तरफ 4-5 छेद रखे जाते हैं।
संरचना का फर्श भी ईंटों/पत्थरों से ठोस बनाया गया है और दीवारों और फर्श को सीमेंट से मजबूती से प्लास्टर किया गया है। ताकि पोषक तत्व जमीन या दीवारों में रिसकर खराब न हो जाएं।
–होज भरने के लिए आवश्यक आपूर्ति
संरचना बनाने के बाद नली को भरने के लिए खेत की खरपतवार, फसल अवशेष, सूखी पत्तियाँ, बचा हुआ चारा (1500-2000 कि.ग्रा.), कच्चा गोबर (90-100 कि.ग्रा.), खेत की सूखी छनी हुई महीन मिट्टी (1500 कि.ग्रा.) ), गौमूत्र (10 लीटर), गुड़ (2 किलो), हवन राख (100 किलो), एज़ोटोबैक्टर (4 पैकेट) और पानी (200-1500 लीटर)।
–होज कैसे भरें–
सबसे पहले गाय के गोबर को 100-125 लीटर पानी में घोलकर होज के अंदर दीवारों और फर्श पर छिड़कें।
–पहली परत 15 सेमी फसल अवशेष की बनायें।
दूसरी परत : 4-6 किलोग्राम गोबर को 125-150 लीटर पानी में घोलकर पहली परत पर इस प्रकार छिड़कें कि पहली परत पूरी तरह गीली हो जाए।
तीसरी परत में दूसरी परत के ऊपर छनी हुई बारीक खेत की मिट्टी (60-70 कि.ग्रा.) की लगभग एक इंच मोटी परत बिछाकर पानी छिड़ककर गीला कर दिया जाता है।
इसी प्रकार नली को भर दिया जाता है और नली की सतह से डेढ़ फीट की ऊंचाई तक झोपड़ीनुमा ढलान बना दिया जाता है।
ढलान पर बारीक मिट्टी की 5-7 सेमी मोटी परत बिछा दी जाती है और नली को मिट्टी-गोबर मिक्सर का लेप लगाकर बंद कर दिया जाता है।पहली भराई के 15-20 दिन बाद जब गड्ढा बैठ जाए तो 1.5 फीट की ऊंचाई तक फिर से पहले की तरह परत चढ़ा देनी चाहिए और पहले की तरह ही मिट्टी और गोबर से लेप कर बंद कर देना चाहिए। 110-120 दिन में खाद तैयार हो जाती है। इस प्रकार एक नली से प्रति वर्ष लगभग 12-15 क्विंटल खाद तैयार की जा सकती है।
ऐसे करें NADEP कम्पोस्ट का प्रयोग
दलहनी एवं तिलहनी फसलों में 50 से 60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उर्वरक, गेहूं-धान आदि में 90 से 100 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उर्वरक, सब्जी फसलों में 120-150 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उर्वरक पहली जुताई के समय प्रयोग होता है।

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