खबर शोध में- भयावह संकेत -परमाणु जंग छिड़ी तो समुद्र का तापमान गिर जाएगा:दुनिया सूखी-अंधेरी जगह बन जाएगी-? अब सवाल शांति दूत कौन

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–कृष्ण राज अरुण – –
-समाज जागरण 24 टीवी –
वैज्ञानिकों की माने तो अगर रूस ने एक छोटे परमाणु हथियार का इस्तेमाल यूक्रेन के खिलाफ कर दिया तो जंग दो देशों के बीच नहीं रह जाएगी, यह समझो कि पूरी दुनिया इसमें शामिल हो जाएगी। इससे करोड़ों लोग प्रभावित होंगे, ऐसी तबाही होगी जिसके बारे में कोई सोच भी नहीं सकता।
साइंस अलर्ट के मुताबिक, अगर रूस और अमेरिका के बीच परमाणु जंग छिड़ी तो न्यूक्लियर विंटर तो आएगा ही, इसी के साथ समुद्र का तापमान भी गिर जाएगा।
यानी समुद्र इतने ठंडे हो जाएंगे कि दुनिया न्यूक्लियर आइस ऐज में पहुंच जाएगी। ये अवधि हजारों साल तक रह सकती है।
रूस और अमेरिका के अलावा 7 अन्य देशों- भारत, पाकिस्तान, चीन, फ्रांस, नॉर्थ कोरिया और ब्रिटेन के पास भी न्यूक्लियर हथियार हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर भारत और पाकिस्तान के बीच परमाणु जंग छिड़ती है तो 13 करोड़ लोगों की मौत हो जाएगी। वहीं, जंग के 2 साल बाद तक 250 करोड़ लोगों को पर्याप्त भोजन नहीं मिल सकेगा।
खबरों के शोध में साफ साफ साइंटिस्ट कहते हैंकि ग्लोबल क्लाइमेट अथॉरिटीज के साइंटिस्ट्स ने कहा कि जुलाई 2023 मानव इतिहास का सबसे गर्म महीना रहा है। इस पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा- ग्लोबल वॉर्मिंग का युग खत्म हो गया है। अब ग्लोबल बॉयलिंग का युग आ गया है। क्लाइमेट चेंज आ गया है। ये बेहद खतरनाक है। क्लाइमेट चेंज ह्यूमन एक्टीविटीज की वजह से हो रहा है।
एटमॉसफियर में बढ़ती कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) भी तापमान बढ़ने की एक वजह है। फॉसिल फ्यूल्स के जलने से हर साल दुनिया भर से 4000 करोड़ टन कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन (कार्बन एमिशन) होता है।
पृथ्वी लगातार गर्म हो रही है। ऐसे में न्यूक्लियर बम के फटने से धुएं का जो बदल बनेगा, उससे सूर्य से आने वाली धूप रुक जाएगी। इससे तापमान बढ़ने की जगह कम होने लगेगा। धीरे-धीरे ये स्थिति न्यूक्लियर विंटर में बदल जाएगी।
यूक्रेन फूड सप्लाई के मामले में दुनिया के अव्वल देशों में से एक है-
ब्लैक सी से गुजरने वाले उसके ग्रेन शिप्स पर रूस के हमलों का खतरा था- लिहाजा, उसने सप्लाई रोक दी और इससे चेन एंड सप्लाई कमजोर पड़ गई। कई यूरोपीय देशों के अलावा अफ्रीका में लोगों के भूख से मरने का खतरा पैदा हो गया।
साइंटिस्ट के मुताबिक, प्रेजेंट क्लाइमेट मॉडल 1980 के दशक के क्लाइमेट मॉडल की तुलना में कहीं एडवांस हैं। इन मॉडर्न क्लाइमेट मॉडल के हालिया नतीजे बताते हैं कि 40 साल पहले साइंटिस्ट्स ने जो डीटेल्स बताईं थीं वो बेहद ही कम आंकी गई। हालांकि साइंटिस्ट्स का मानना है कि न्यूक्लियर विंटर थ्योरी परमाणु जंग को रोकने में काफी मददगार रही है।
यदि परमाणु होगा तो उसकी कल्पना भी करना बेहद नाजुक है दुनिया के लिए –
-40 साल पहले ही साइंटिस्ट ने कहा था न्यूक्लियर विंटर आएगा-
पहले और अब तक के इकलौते परमाणु हमले के असर को लेकर साइंटिस्ट पॉल क्रुटजेन और जॉन बिर्क्स ने हमले के करीब 40 साल बाद यानी 1982 में कहा था कि अगर न्यूक्लियर वॉर शुरू होती है तो इससे धुएं का एक ऐसा बादल बनेगा, जिससे सूर्य से आने वाली धूप रुक जाएगी। धूप नहीं आने से पृथ्वी का तापमान बढ़ जाएगा। ये पूरी घटना न्यूक्लियर विंटर कहलाएगी। साइंटिस्ट ने दावा किया था कि इससे फसलें और सिविलाइजेशन खत्म हो जाएंगीं।
यहां एक शोध बताता हैकि विश्व इतिहास में ऐसी ही दो तारीखें हैं- 6 और 9 अगस्त, 1945। जिस दिन परमाणु बम से अनजान, जापान के दो शहरों हिरोशिमा और नागासाकी के नागरिकों को लगा था उनके शहर में सूरज फट गया है। लेकिन ऐसा नहीं था यह तथाकथित विकसित, सभ्य और मुट्ठी भर लोगों का निर्णय तथा एक महाशक्ति द्वारा निर्मित कृत्रिम सूरज था जिसकी आग में लाखों निर्दोष लोग भाप बन कर उड़ गए और मानवता झुलस गई थी। और आज भी दुनिया ऐसे ही अनगिनत कृत्रिम सूरज की लपटों से घिरी हुई है।
इतिहास बताता हैकि 1945 में अमेरिका ने हिरोशिमा पर परमाणु बम से हमला किया था। इसका असर पीढ़ियों ने देखा। 80 हजार लोग चंद मिनटों में मारे गए थे। इनमें से कई लोग तो जहां थे वहीं भाप बन गए। उस साल के अंत तक रेडिएशन की वजह से 1.40 लाख लोगों की मौत हुई थी। यानी परमाणु बम को बनाने वाले ओपनहाइमर ने इसकी टेस्टिंग के बाद कहा था कि धमाका उनकी उम्मीद से 50 गुना ज्यादा खतरनाक था तो मानिये आज की स्थिति और कितनी भयावह होगी।
अब स्थिति की गंभीरता पर वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर परमाणु बम आज के समय में किसी भी देश पर गिराए गए तो पिछली बार की तुलना में कई गुना ज्यादा तबाही ला सकते हैं। उन्होंने बम के साथ क्लाइमेट चेंज को इस तबाही की वजह बताया है।इस बात को समझने के लिए सबसे पहले आपको परमाणु हमले के बाद की स्थिति और तब की गई भविष्यवाणियों को को भी अच्छी तरह जानना होगा।
पृथ्वी अंधकार में डूब जाती, भुखमरी का खतरा पैदा हो जाता
जिस समय हिरोशिमा पर हमला हुआ था, उस दौरान अमेरिका और सोवियत संघ के वैज्ञानिकों का कहना था कि परमाणु जंग से प्रभावित हुए इंडस्ट्रियल एरिया जंगल के बराबर एरिया को जलाने की तुलना में ज्यादा धुआं और धूल पैदा करेंगे। इस धुएं से सूर्य की रोशनी रुक जाएगी और पृथ्वी ठंडी, सूखी और अंधकार में डूब जाएगी।
1980 के दशक में दुनिया में 65 हजार एटमी हथियार थे। आज दुनिया में सिर्फ 12,512 परमाणु हथियार हैं। न्यूक्लियर विंटर थ्योरी को लेकर क्लाइमेट का जो मॉडल पेश किया गया था उसकी डीटेल्स को ध्यान में रखते हुए 1986 में अमेरिकी प्रेसिडेंट रोनाल्ड रीगन ने न्यूक्लियर वेपन पर रोक लगाने की पहल की थी।
अगर आज के समय में जंग छिड़ी तो क्या होगा…?
साइंस अलर्ट के मुताबिक, अगर रूस और अमेरिका के बीच परमाणु जंग छिड़ी तो न्यूक्लियर विंटर तो आएगा ही, इसी के साथ समुद्र का तापमान भी गिर जाएगा।यानी समुद्र इतने ठंडे हो जाएंगे कि दुनिया न्यूक्लियर आइस ऐज में पहुंच जाएगी।
संधियों का औचित्य साफ़ है –आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों पर अंतर्राष्ट्रीय संधि 16 दिसंबर 1966 को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा अपनाई गई एक बहुपक्षीय संधि है। संकल्प 2200A (XXI) 3 जनवरी 1976 से लागू हुआ। यह अपनी पार्टियों को आर्थिक अधिकार देने की दिशा में काम करने के लिए प्रतिबद्ध करता है। , गैर-स्वशासी और ट्रस्ट क्षेत्रों और व्यक्तियों को सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकार (ईएससीआर) – जिसमें श्रम अधिकार और स्वास्थ्य का अधिकार, शिक्षा का अधिकार और पर्याप्त जीवन स्तर का अधिकार शामिल है। जुलाई 2020 तक, अनुबंध में 171 पक्ष हैं। आईसीईएससीआर (और इसका वैकल्पिक प्रोटोकॉल) मानव अधिकारों के अंतर्राष्ट्रीय विधेयक का हिस्सा है, साथ ही मानव अधिकारों की सार्वभौम घोषणा (यूडीएचआर) और नागरिक और राजनीतिक अधिकारों पर अंतर्राष्ट्रीय अनुबंध (आईसीसीपीआर) का हिस्सा है, जिसमें बाद के पहले और दूसरे वैकल्पिक प्रोटोकॉल शामिल हैं।
शस्त्र नियंत्रण कोई नई घटना नहीं है चाहे इसको सर्वव्यापी मान्यता भले ही द्वितीय विश्व युद्ध के बाद मिली हो ? अब सवाल शांति दूत कौन – –
लेखक -कृष्ण राज अरुण –– एक वरिष्ठ पत्रकार समाज विज्ञानी 2006 पूर्व प्रधानमंत्री भारतरत्न GL नंदा जी के परम शिष्य हैं तथा 2006 में इंडियन पीस मिशन – मंच पर दिल्ली लोक प्रसाशन अकादमी में जस्टिस राजेंद्र सच्चर जी द्वारा नेशनल पीस अवार्ड ले चुके हैं.।

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