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समाज जागरण नैतिक ज्योति आज की सर्वोपरि आवश्यकता – मनुष्य का वंश शिखर छूने योग्य आचरण ही भविष्य का शशक्त भारत खड़ा करने योग्य भारतरत्न नंदा के राजनैतिक सदाचार उद्द्गम जरूरी भारत में –

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– कृष्णराज अरुण -भारतरत्न नंदा जी के परम शिष्य वरिष्ठ पत्रकार –

मित्रो ,
नमो भारत यात्रा में आजादी के सपनो को साकार करने वाली राजनिति का उद्द्गम समय की मांग है कुंठा ग्रस्त राजनीति का प्रकाश वैभव अमृत काल जनतंत्र को वह सूर्य नहीं दिखा सकेगी जिसके लिए भारत ने कुर्बानियां सही – पूर्व पीएम भारत रत्न नंदा जी ने नानक नाम के जहाज और सच्चा सौदा के वर्णन में मीठे फल का अर्थ बताते थे कि जो मनुष्य घर से संस्कार के आटे की रोटी खाकर निकलता है उसका मन धर्म वचन हमेशा कल्याण मय रहता है वही अपने कुल का गौरव बनता है ।
उन्होंने नानक जी के जीवन का उल्लेख करते एक बार बताया था कि नानक जी के पिता पटवारी थे मगर नानक जी खेत और समाज के माली बने ये उनके देवत्व संस्कार थे । एक बार उनके पिता ने नानक जी को सच्चा सौदा करने के लिए कम कीमत पर वस्तुएं खरीदकर अधिक कीमत पर बेचने के लिए कहां , किन्तु नानक पिता के दिये पैसों से भूखे प्यासे साधु संतों को रसद खरीदकर दे दिया करते थे । उनकी दृष्टि में भूखों को अन्न देना ही सच्चा सौदा है।
एक बार सुल्तानपुर लोधी में नौकरी करते हुए वे घर जोड़ने की माया से विमुख सारी तनख्वाह गरीबों और जरुरतमंदों को बांट देते हैं। उनके मन में नकार बिलकुल नहीं है। इसलिए

वे विवाह के लिए हाँ करते हैं। क्योंकि इसके लिए सामाजिक उत्तरदायित्व से पलायन न करते हुए गृहस्थ आश्रम में रहकर भी सच्चा धार्मिक और आध्यात्मिक जीवन जिया जा सकता है। वे साधु होकर जन समाज में ही रहे, उनके सुख दुख में भाग लेकर उनसा ही जीवन व्यतीत करते रहे।
नंदा जी बे वजह की अंधी कमाई और खर्च जो बे वजह कर्ज चढ़ाये ,महंगाई का कारण बने। जो आप-की नींद चुराए, भय दिखाए ताले में रहकर भी चौकीदार रखना पढ़े वही आपके सुख और शान्ति को छिनती है। महाराष्ट्र शनिदेव धाम नगरी में ताले आजतक नहीं लगते कितनी भी भीड़ हो चोरी नहीं होती क्योंकि चोर भी पाप से डरते हैं। मेने कई दोषियों को अपाहिज

जीवित समाज /को संगठित करेगा गुलज़ारी लाल नंदा फाउंडेशन-

होते देखा है इसलिए वहां इंसान का नहीं कुदरत का डर है
जल प्यास बुझाने का कार्य करती है वह जीव जंतु भेद नहीं देखती वह केवल प्यास बुझाता है –
एक बार एक काजी ने नानक को मस्जिद में जाकर नमाज पढ़ने का आदेश दिया। मस्जिद में गये जरुर लेकिन नमाज नहीं पढ़ी। शासक दौलत खाँ ने नमाज नहीं पढ़ने के लिए नानक से पूछा तो नानक ने कहा कि मैं नमाज किसके साथ पढ़ता, आप भी तो नमाज नहीं पढ़ रहे थे। आपका तो ध्यान कंधार में घोड़े खरीदने में था। वही काजी चिंता में डूबे हुए थे कि कहीं घोड़े का नवजात आंगन के कुंए में न गिर जाए। काजी हैरान थे ये सब इसे कैसे पता।
पांच वक्त की नमाज के बारे में पूछने पर नानक जी कहते हैं कि “उनकी पहली नमाज सच्चाई है, ईमानदारी की कमाई दूसरी नमाज है, खुदा की बंदगी तीसरी नमाज है, मन को प्रवित्र रखना उनकी चौथी नमाज है और सारे संसार का भला चाहना उनकी पांचवी नमाज है। जो ऐसी नमाज पढ़ता है, वही सच्चा मुसलमान है।
एक अच्छा इंसान है। कहने का तात्पर्य जिस मिटटी में जन्मो उसका हक अपने कल्याण कारी कार्यों से अदा करो। जो सतसंग करो उसमे किसी का तिरस्कार मत करो। क्योंकि परोपकार वह फल है जो धैर्य पुरुषार्थ की भट्टी में जब पकता है उसकी मिठास जीवन की अतीत यादें मिलती है। परोपकार हमेशा हमारे खानदान के लिए विष नहीं अमृत बनकर आता है जो हमारे वंश को निराशा की भट्टी के विनास से बचा जाता।
भारतरत्न नंदा जी ने मानव धर्म सेवा मिशन का यही रूप निष्काम सेवा से कुरुक्षेत्र सन्नहित सरोवर ब्रह्मसरोवर ही पवित्र मुक्ति जल श्रोत अमृत छोड़ गए ताकि लोग सूर्य ग्रहण चंद्र ग्रहण में पवित्र ता का संक्प ले सकें। दुनिया के लिए उन्होंने राजनैतिक सदाचार से वंशवाद मुक्ति कितनी जरूरी अच्छे जीवन के लिए ब्रह्म सरोवर कुरुक्षेत्र बार बार आने का न्योता देते 15 जंवरी 1998 को संसार छोड़ा। उन्होंने सदाचार की मशाल से राजनैतिक स्वछता का दीप अपने जीवन में जलाकर निष्काम सेवा से सामजिक प्रदूषण कीचड़ को बेहतर आचरण रखने वंश मोह में धृत राष्ट्र दुर्योधन आचरण से दूर रहने की सीख लेने संसार को संदेश दे गए। उन्होंने सत्ता शिखर स्थानों की कुर्सियो में बैठकर भी अपने वंश आचरण धन लिप्सा सत्ता से दूर रखा इसलिए नंदा जी को जीवित समाज वंश विहीन राजनीती का आकाश कुसुम मानता है। वे सदेंव् सामाजिक पर्तिष्ठाओं को को जीवन मूल्य की नीतियां देते रहे। कुरुक्षेत्र का विकास का अर्थ था कि संसार का जो भी राजपुरुष यहाँ आये वह ध्रतराष्ट्र जैसा मोह वादी जान कर भी अनजान न रहे। दुर्योधन जैसा सकुनी आचरण पुत्र न बने ताकि हरेभरे वंश विनाश से बच सकें। भारतरत्न नंदा जी का राजनैतिक सदाचार वह मंत्र है जिससे भारत की राजनिति का सौंदर्य अमृत भविष्य में गीतमय धरती की चेतना से श्री राम का बैकुंठ धाम भारत बनाने में सक्षम हो सकता है आज का संसार भारत को ठीक वैसी ही सोच लेकर आशाएं लगाए बैठा है।
राजनैतिक सदाचार की संजीवनी कुरुक्षेत्र विश्व विद्यालय एक सच्चा मार्ग प्रस्थ करने के लिए भारतरत्न नंदा नैतिक ज्योति लेकर विद्दुर निति संजीवनी लेकर गुलज़ारी लाल नंदा फाउंडेशन नंदा जी के वृक्ष कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड को सशक्त भारत का गीतामय हरियाणा का देखना चाहता है। भारतरतन नंदा जी की नीव 22 साल तक उन्होंने महाभारत रण भूमि का आधुनिक दिशा दशा बदली। भगवान श्री कृष्ण के संदेश गीता उपदेश स्थली को कायाकल्प रूप देकर केडीबी सहित सत्ता रूढ़ नायकों को इन कार्यों को आगे बढाते रहने लायक मजबूत ध्वजः रहे जिसमे ना काहू से दोस्ती ना कहु से बैर –
लेखक – दैनिक समाज जागरण नोयडा के राष्ट्रीय सलाहकार सम्पादक तथा गुलज़ारीलाल नंदा फाउंडेशन किए चेयरमेन हैं।

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